15 मार्च, 2021

आज की नारी

 आज की नारी है  क्या 

कितना पानी

हटा पाया अब तक 

मन ने सोचा

तेरा उत्साह देख

आज की नारी

 कमजोर थी  कभी

अब नहीं है

छलके अश्रु मेरे

दौनों  नैनों  से

 है  सक्षम सफल

नहीं ज़रूरी

 बैसाखी वाकर की  

नहीं चाहिए

 उंगली की पकड़

अपनी शक्ति

पहचान गई है

आज की नारी

समय का साथ पा

 परख रही

है कितने पानी में

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
    \

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  2. चोका विधा में बहुत ही सुन्दर सृजन ! बहुत खूब !

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    उत्तर
    1. धन्यवाद साधना नई विधा से पहचान कराई हैं |

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  3. आभार सहित धन्यवाद सर मेरी रचना की सूचना के लिए |

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