जाने कितनी
उपजी है उमस
धरती पर
सहन नहीं होती
जाने क्या होगा
बेइन्तहा है गर्मीं
अभी हुई है संध्या
रात दूर है अभी
कैसे कटेगी
कहर ढाती गर्मीं
जाने क्या होगा
हाल इस गर्मीं में
-आँखों में कटी
सारी रात गुज़री
भोर न हुई
दिन की राह देखी
जाने कब हो
मौसम खुशनुमा
घुटती जान
अभी से यह गर्मीं
लू के थपेड़े पड़े
हुए दुश्मन
है यह ट्रेलर तो
आगे जाने क्या होगा
बैरी मौसम
अब आम लोगों
का
बचेंगे कैसे
ग्लोबल वार्मिंग से |
आशा
बहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
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सुप्याभात
हटाएंधन्यवाद सर टिप्पणी के लिए |
धूप में बाहर न निकलें ! आम तरबूज खरबूज का सेवन करें ! अमिया का पना पियें ! ठंडा सत्तू खाएं ! गर्मी के ये दिन भी गुज़र ही जायेंगे ! घर के अन्दर ही मंगल मनाएं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए |
आप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अमित जी टिप्पणी के लिए |
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