पर लिखने में रूचि है अपार पर
कभी पैन नहीं तो कभी स्याही नहीं |
लिपी बद्ध करने में हूँ अकुशल
कभी है शब्दों अलंकारों का टोटा
किस भाषा को चुनूं किस विधा में लिखूं
यह तक निश्चित नहीं किस से लूं जानकारी |
प्रतिदिन सोचती हूँ सोच को पंख देने की
चाह रखती हूँ ऊंची उड़ान भरने की
किसका ध्यान करू किसे गुरू बनाऊँ
अभी तक निर्णय नहीं ले पाई |
कहीं पढ़ा था बिना गुरू के जीवनहै अकारथ
माया मोह से मुक्त नहीं होता
कलियुग में सकारथ जीवन न हो तब
भव सागर में कहाँ तक तैरेंगे |
जाने कब किनारे तक पहुंचेगे
इस विशाल सागर को पार करेंगे
शक्तिशाली हाथ जब तक बाहँ न थामेंगा
बेड़ा पार न होगा |
पंख यदि गीले हो गए
उड़ने की शक्ति खो जाएगी
व्योम में ऊंची उड़ान भरने की केवल
कल्पना ही रह जाएगी |
जिस हाल में दाता रखे वैसे ही जीवन चलेगा
डरने घबराने से है लाभ क्या
जीवन है एक जुझारू पल सा तभी सफल होगा
जब भी बाधाएं निर्बिघ्न पार करेगा |
आशा
सुन्दर रचना। जब तक जीवन में किसी कमी कि बोध न हो, जीवन चलायमान नहीं रहती। बहती नदी और थमे समुन्दर में एक यही तो फर्क है।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया आशा जी।
सुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद पुरुषोत्तम जी |
बहुत बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंविचारों का अच्छा सम्प्रेषण किया है
आपने इस रचना में।
सुप्रभात
हटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद सर |
जय मां हाटेशवरी.......
जवाब देंहटाएंआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
20/04/2021 मंगलवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार कुलदीप जी |
आदरणीया मैम, गुरु का महत्व समझाती अत्यंत सुंदर रचना। किसी भी विद्या या कला का विकास करने के लिए गुरु आवश्यक हैं पर गुरु के दर्शन शीघ्र नहीं मिलते । यह भी सच है कि किसी भी क्षेत्र में वास्तविक गुरु का मिलन कठिन हो गया है । ऐसे में सीखने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के मन में दुविधा स्वाभाविक है । हृदय से आभार इस सुंदर और आनंदकर रचना के लिए व आपको प्रणाम।
जवाब देंहटाएंवाह ! सार्थक चिंतन एवं अत्यंत उत्कृष्ट अभिव्यक्ति !
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