24 अप्रैल, 2021

हाइकु (कोविद )


 

१-जीवन शुष्क

ना कोई आकर्षण

बदरंग है

२-कष्टों की बेल  

आसपास पसरी

स्वप्न अधूरा  

३-महांमारी का

जब  आगाज हुआ  

सदमा लगा

४-विकट रूप  

कोविद की बापसी

रूप बदला

५- दुगुनी शक्ति

समाई है  इस में

जान न बक्शी

६- कोई भी कष्ट  

सहा जा सकता है

कोविद नहीं  


आशा 

 

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    मेरी रचना की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद |

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  2. कृपया शुक्रवार के स्थान पर रविवार पढ़े । धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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