24 अप्रैल, 2021

विश्व पृथवी दिवस


 

जलचर थलचर और नभचर

 निर्जीव और सजीव सहचर

 एकत्र हो बनाते एक समुच्चय

जो कहलाता विश्व का स्वरुप

वहां भिन्न प्रजातियाँ जीवों की

आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर

करती रहतीं  वास हैं |

हर समय की  चहल पहल

जीवन्त बनाए रखती वातावरण

इसे यदि क्षति पहुंचे उसे तो कष्ट होता ही है

कितना कष्ट होता सोच प्रधान मन को |

यदि जीने की तनिक भी तमन्ना हो

आसपास की सभी  वस्तुएं होती आवश्यक

सजीव हों या निर्जीव सभी के लिए

इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता |

आवश्यक है दोहन प्रकृति का सीमित हो

और बड़े  यत्न से किया जाए

पुरानी  यादों को दोहराने के लिए

इस तरह के आयोजन किये जाते हैं |

आशा

 

 

5 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए

      हटाएं
  2. पृथ्वी दिवस पर बहुत ही सार्थक सन्देश देती उत्कृष्ट प्रस्तुति ! बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: