रात में अपार शान्ति
रहे
चाहे दिन में व्यस्त
रहूँ
पर रात्री को
विश्राम करूं |
आज की इस दुनिया में
है इतनी व्यस्तता कि
दिन दिन नहीं दीखता
रात का पता नहीं होता |
सदा दिमाग अशांत रहता
यह तक सोच नहीं पाता
क्या सही है क्या गलत है
मनन के लिए भी समय नहीं होता |
भेड़ चाल चल रहा आदमीं
आज
नतीजा क्या होगा कभी
विचारा नहीं
मन हवा के वेग सा उड़
चला
साथ पा अन्य साथियों का |
शायद यही है अंध
भक्ति आज की
नेत्र बंद कर अनुसरण
करने की प्रथा
खुद के विचारों से
है तालमेल कहाँ
फिर भी एक बार तो
सोचा होता |
क्या खुद का कोई
अस्तित्व नहीं
या सोचने की क्षमता नहीं
है
रेत के कण
का भी होता है महत्व
फिर स्वयम का क्यों नहीं |
आशा
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 19 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंमेरी रचना की सूचना के लिए आभार दिव्या जी |
रेत के कण का भी होता है महत्व
जवाब देंहटाएंफिर स्वयम का क्यों नहीं |---गहरी रचना, गहरे भाव।
सुप्रभात
हटाएंधन्यवाद संदीप जी टिप्पणी के लिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए आभार सहित धन्यवाद ओंकार जी |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने की सूचना के लिए आभार सहित धन्यवाद रविन्द्र जी |
बहुत सुंदर विचार।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंबहुत सुन्दर रचना मैम
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग को भी पढ़े
Thanks for the comment
हटाएंस्वयं को खोज कर ही उसका महत्व जाना जा सकता है
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंकाश कुछ ऐसा हो जाए
जवाब देंहटाएंरात में अपार शान्ति रहे
चाहे दिन में व्यस्त रहूँ
पर रात्री को विश्राम करूं |
आमीन !!!
आपकी प्रार्थना फलीभूत हो...
सुंदर रचना 🙏
Thanks for the comment
जवाब देंहटाएंवाह!सुंदर भावों से सजी रचना ।
जवाब देंहटाएंउम्दा !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
हटाएंआदरणीया मैम, अत्यंत सुंदर रचना । आज मनुष्य की व्यस्तता चूहे की दौड़ जैसी हो गई है । इंसान बस भागा जा रहा है बस बिना किसी सोच -विचार या उद्देश्य के । हर काम के लिए समय है उसके पास लेकिन अपने लिए और अपनों के लिए समय नहीं । हृदय से अत्यंत आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएंसच में लोग आज इतने व्यस्त हो गयें है कि ना तो खुद पर ध्यान दें रहें हैं और ना ही दूसरे पर किसी को उनके साथ की जरूरत है उनके अपनेपन के प्यार भरे एहसास की बस बिना किसी की प्रवाह किएँ चले जा रहे हैं
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना मैम
Thanks for the comment
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवाह ! गहन भाव लिए अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति ! उत्कृष्ट सृजन !
जवाब देंहटाएं