19 मई, 2021

मधुर वाणी


 









कितनी बार कहा तुमसे

बार  बार समझाया भी 

किसी से मीठा बोलने में

 है क्या कष्ट तुम्हें |

 तुम ने तो कसम खाई है

कहना नहीं मानने की

अपने मन की करने की

फिर चाहे जो परिणाम  हो |

तुम्हारी यही आदत तुम्हें

ठीक से जीने नहीं देती

जाने कितने शत्रु पैदा हो जाते हैं

तुम्हारे सुख से जलने लगते हैं |

 यही विचार लिए यदि  हो मन में

तब कैसे जीवन में होगे सफल

हर व्यक्ति तुम्हें ताने देगा

न खुद जियेगा ना तुम्हें जीने देगा |

जब दिल में क्लेश पनपेगा

आसपास का वातावरण दूषित करेगा

ना कभी हंस बोल पाओगे

ना ही  सुख से रह पाओगे |

तब हो जाएगा जीना दूभर

खो जाएगा सुकून मन का

 धरती  पर भार होकर

रहने से क्या लाभ होगा  |

कभी कहना मान कर देखो

अंतर समझ में आ जाएगा

तुम चाहते हो क्या सब से

यह भी स्पष्ट हो जाएगा  |

मधुर भाषण  में है बहुत शक्ति

जिसने उसे अपनाया

सबको  अपने करीब पाया

 आपस में भाईचारा बढ़ते ही

मन का  सुख  भरपूर पाया   |

आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद टिप्पणी के लिए ओंकार जी |

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा बुधवार (19-05-2021 ) को 'करोना का क़हर क्या कम था जो तूफ़ान भी आ गया। ( चर्चा अंक 4070 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए आभार रवीन्द्र जी |

      हटाएं
  3. सुंदर संदेशपूर्ण भावों भरी अभिव्यक्ति,सादर शुभकामनाएं,समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी भ्रमण करें ।

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  4. मीठी वाणी बोलिए मन का आपा खोय
    औरन को शीतल करे आपहुं शीतल होय !
    सुन्दर सन्देश देती सार्थक रचना !

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