१- मोर नाचता
छम छम करता
पंख फैलाए
२-नृत्य का रंग
मन मस्त करता
सारा जीवन
३-नृत्य संगीत
मुदित करे मन
नृत्य खुशी दे
४-आल्हादित हूँ
आज है नृत्य दुवस
भाग लिया है
५-नृत्य किया है
टबले की थाप पर
समा बांधा है
६-ताल पे ताल
ठुमके पर ठुमके
बोल मधुर
७-दीपक नृत्य
जब किया था मैंने
प्रशंसा पाई
आशा
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंजी बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंमुझे आपसे एक बात जाननी है कि आप इस रचना में 1,2,3....की गिनती क्यूं की हैं। क्या यह कविता लिखने की कोई कला है? अगर हाँ है तो कृप्या मुझे भी बताएं।
हाइकु विधा में इस रचना का सृजन किया गया है प्रकाश जी ! हाइकु तीन पंक्तियों की लघु रचना होती है जो अपने आप में पूर्णत: स्वतंत्र होती है ! नंंबर डालने का कोई विधान या बाध्यता नहीं है ! अपनी सुविधा के लिए रचनाकार यह स्वतन्त्रता ले लेते हैं कि कितने हाइकु रच लिए गए हैं तथा कितने और रचने हैं !
हटाएंजी बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। मुझे आपके उत्तर से बहुत सहायता मिली...इस कला को समझने में। मैं भी कोशिश करूँगा...इन तीन स्वतंत्र पंक्तियों में रचना लिखने के लिए। आज से हाइकु विद्या पर मेरी खोज जारी हो गयी। फिर से एकबार आपको धन्यवाद🙏🙏🙏
हटाएंसुन्दर.....
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद विकास जी टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर हाइकु ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |