23 मई, 2021

मन चंचल किसी का नहीं होता


 
हर समय

थिरकते कदम

झूमते रहे  

देखा न अवसर  

उचित नहीं

कभी सोचना नहीं

अन्यों  पर

सुख दुःख उनके  

बांटना  नहीं  

क्या बीतेगी उन पे

सोचा न कभी

अपना स्वार्थ देखो  

किससे जाना

है कितना कठिन

तुम्हें जानना  

 उसको पहचानो  

मन चंचल

किसी का नहीं होता

 पूरे समय  

 खुद व्यस्त रहता

सुख या  दुःख 

अकेले ही सहता

 है राज यही

मन की प्रसन्नता

 जन्म से नहीं

 भाग्य से बढ़ कर

कुछ भी  नहीं

हो  हाथ सर पर

प्रभू की देन  

 थिरकेंगे कदम

हर  बात पे  |

आशा  

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