25 जून, 2021

कुछ तुमने कहा


 

कुछ तुमने कहा है 

क्या मैंने सून लिया 

कहीं कोई चूक

 हो गई है |

कोई अर्थ न निकला

इस वार्ता का

 अर्थ का अनर्थ हुआ   

देख कर हँसी थम न सकी |

इस तरह की बातें

 तुम्हें शोभा नहीं देतीं

मुझ में भी समझ न थी

अब हूँ दुखी हँसी पर 

सोच समझ कर 

जब बोलो शब्दों को तोल कर बोलो  

मन को सदमा न पहुंचेगा  |

मेरा मन  मुझसे 

न सम्हल पाया  

पर फिर भी  सोचा तुम्हें

 करदूं सतर्क शायद कुछ लाभ हो |

कटु भाषण कर्णकटु हो कर  

मन को दुःख पहुंचाता है

भलाई इसी में है दौनों की

तटस्थ  भाव से सोचे समझें |  

आशा 


आशा 

8 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२६-0६-२०२१) को 'आख़री पहर की बरसात'(चर्चा अंक- ४१०७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. वाह ! लाख टके की बात की आपने ! जब भी बोलेन, तोल मोल कर ही बोलें ! बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर अहसास ।
    ज़ुबाँ का इस्तेमाल ही हमारी सामाजिक दृष्टिकोण बनाता चला जाता है ।
    सुंदर लेख

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!!
    बहुत सटीक एवं सारगर्भित सृजन।

    जवाब देंहटाएं

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