सुनो बावरे
अपने मन की आवाज
क्यों दीवाने हुए
दूसरों की बातों में उलझे |
अपने मन की सुनो
उसी के अनुसार चलो
बंद ताले दिमाग के
तब ही खुल पाएंगे |
हो शांत चित्त यदि
उसके अनुसार चलोगे
मस्तिष्क अपने आप
सक्रीय हो गति पकड़ेगा |
जीवन का कोरा केनवास
मन को दिखेगा
मन होगा बेताव
उसे रंगने के लिए |
आकर्षक रंग चुन पाओगे
सदा बहार रंग भरे चित्र
उभर कर छा जाएंगे
जीवन को जीवन्त कर जाएंगे |
आशा
वाह वाह ! बहुत सुन्दर प्रेरक पंक्तियाँ ! सार्थक सृजन !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंThanks for the post
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