10 अगस्त, 2021

दुनिया सिमटी अपने में


  नहीं किसी से दोस्ती
 ना ही किसी से प्यार 

 अपने में सिमटे रहने को 

दिल था  बेकरार |

प्यार है किस चिड़िया का नाम 

सोचा नहीं  

हुआ  दोस्ती से  कितना लाभ 

जाना नहीं |

मन को पंख लगा कर 

उड़ान भरी व्योम में

आनंद उड़ने का लिया

 भयभीत तनिक  न हुआ |

 जितनी बातें किसी से  हुईं 

 यादों में सिमटीं   

 ख्यालों की दुनिया का

 बाजार गर्म रहा |

भावना के सागर में भी

 खूब लगाई डुबकियां  

तैरे घंटों

 किनारे पहुचे|

 मन के कैनवास पर

सात रगों से छवियाँ 

उकेरी पूरी शिद्दत से

सारी दुनिया सिमटी

   थी उस पर |

खट्टे मीठे अनुभव भी

 पीछे न रहे 

शब्दों की माला के रूप में 

निखर कर आए |

 ऐसे ही विचार बारम्बार

 मन की बगिया में घूमें 

फलें फूलें लहराएं 

 महक अपनी पीछे छोड़ जाएं |

आशा 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 अगस्त 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    उत्तर
    1. सुप्रभात
      आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए|

      हटाएं
  2. धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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