नहीं किसी से दोस्ती
ना ही किसी से प्यार
दिल था बेकरार |
प्यार है किस चिड़िया का नाम
सोचा नहीं
हुआ दोस्ती से कितना लाभ
जाना नहीं |
मन को पंख लगा कर
उड़ान भरी व्योम में
आनंद उड़ने का लिया
भयभीत तनिक न हुआ |
जितनी बातें किसी से हुईं
यादों में सिमटीं
ख्यालों की दुनिया का
बाजार गर्म रहा |
भावना के सागर में भी
खूब लगाई डुबकियां
तैरे घंटों
किनारे पहुचे|
मन के कैनवास पर
सात रगों से छवियाँ
उकेरी पूरी शिद्दत से
सारी दुनिया सिमटी
थी उस पर |
खट्टे मीठे अनुभव भी
पीछे न रहे
शब्दों की माला के रूप में
निखर कर आए |
ऐसे ही विचार बारम्बार
मन की बगिया में घूमें
फलें फूलें लहराएं
महक अपनी पीछे छोड़ जाएं |
आशा
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 12 अगस्त 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुप्रभात
हटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना की सूचना के लिए|
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपको आलोक
हटाएंक्या बात है ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
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