यह ख्याल नहीं तो और क्या है
कि उसने चुराया है सुकून तुम्हारा
कभी उसे देखा नहीं
जाना पहचाना नहीं
फिर भी धुन है कि वह तुम्हारी
बहुत कुछ लगती है |
क्या बुरा है ख्यालों में डूबे रहना
है क्या बुराई इसमें
आज तक जान न पाए
राज क्या छिपा है इस में
समझ से परे है |
अपने मन का दामन थामें रहने में
बहुत दूर के स्वप्न देखने में
ख्यालों में डूबे रहने में
जज्बातों में बह जाने में
कोई गुनाह तो नहीं है |
बड़ी मुश्किल से मिली
तुम्हारी स्वप्नों की शहजादी
तभी दूर जाने से भयभीत हुए
हर बार यही दोहराते हो
वह तुम्हारी बहुत कुछ लगती है |
आशा
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
कोई बुराई नहीं है ख्यालों में डूबे रहने में ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में बुधवार 11 अगस्त 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुप्रभात आभार पम्मी जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए आज के अंक में |
हटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को आज के अंक में स्थान देने के लिए |
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद गगन जी टिप्पणी के लिए |