22 अगस्त, 2021

यादें पुरानी


 ना आई तब याद करोगे 

मेरी राखी जब पहुंचेगी 

दुखी हो स्वीकार करोगे 

यही बातें तब याद आएंगी 

मन से न लगाना उन को  |

 सदा  समय एकसा नहीं रहता 

उससे समझोता करना होता

 अपने ही  परिवार में

 तुम  खोजना  मुझे |

बच्चों का उत्साह देख आज 

अपना बचपन याद आएगा  

वे घटनाएं जो अब तक है याद 

मन को खुशी से आबाद रखेगा |

   बातें अपने बचपन की 

राखी खरीदने जाने की

अपनी पसंद की राखी लाने की  

याद आती हैं  मुझे  |

जिद्द तुम्हारी दोनो हाथों में 

 राखी बंधवाने  की

 जब तक पूरी न होती 

रोना गाना चलता रहता |

सब से राखी उतरवा कर  

खुद ही बंधवाने  की इच्छा

कितनी बलवती रहती थी 

अभी तक भूली नहीं हूँ  | 

 है सूनी राखी तुम्हारे बिना 

अब  कभी नहीं  आओगे जानती हूँ में 

 आज  उदासी ने घेरा है

 यादे ही शेष रही अब तक  |

यही रीत दुनिया की है 

 बहुत  दूर चले गए हो  मुझ से 

कोई न लौट पाएगा अब 

हर राखी पर उदासी ही देगी साथ अब |

आशा 


18 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (23-08-2021 ) को 'कल सावन गया आज से भादों मास का आरंभ' (चर्चा अंक 4165) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 22 अगस्त 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. आज उदासी ने घेरा है

    यादे ही शेष रही अब तक |

    यही रीत दुनिया की है

    बहुत दूर चले गए हो मुझ से

    कोई न लौट पाएगा अब

    हर राखी पर उदासी ही देगी साथ अब |
    जैसे मेरे ही दिल की बात कह दी आपने😢

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात
    धन्यवाद अमृता जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत प्यारी रचना , हृदय स्पर्शी भाव ,आप सब को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आदरणीया, अपना ख्याल रखें। राधे राधे

    जवाब देंहटाएं
  6. अत्यंत मर्मस्पर्शी रचना ! राखी का दिन हर साल उदास कर जाता है और एक अकथनीय टीस से मन को भर जाता है !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: