23 अगस्त, 2021

समय का मोल न समझी

 



काश उसे भी अवसर मिलता
खुद को सक्षम हूँ कहने का
पर वह कह न पाई
अपनी योग्यता दिखा न पाई |
यही बात उसके मन को विदीर्ण कर गई
खुद को असहाय देख मन छलनी कर गई
अपनी कमजोरी का एहसास हुआ जब
बहुत देर हो गई थी गलती सुधारने में |
यह सब जान कर न किया था
अनजाने में जो हुआ जैसा भी हुआ
मन को ठेस पहुंची दिल बिखरा
शीशे सा किरच किरच हो गया |
अब व्यर्थ सोचने से क्या लाभ
बीता कल लौट कर न आएगा
यदि उसी पर ध्यान दिया
अगला भी बिगड़ जाएगा |
आशा

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