हे कलम ज़रा धीरे चलो
भावों की है दूर तक पहुँच
पर शब्दों में वह
क्षमता नहीं
जो तुम्हारा साथ दे
पाए |
जब भी कोशिश शब्दों
ने की
तुम्हारा हमकदम होने
की
यादों के गलियारों
में घूमने की
साथ तुम्हारा न दे
पाए |
हुआ मन आहात व्यथित
चित्र तक न बन सका
सतरंगा
भावों की दौड़ तक कैनवास
पर
यूँ तो असफल रहे हर
क्षेत्र में |
कलम जब तुम साथ दोगी
उनकी की प्रेरणा बनोगी
शब्दों में होगा शक्ति संचार
वे तुम्हारा दे पाएंगे
साथ |
शब्दों को साथ ले
मनोभाव दर्शाने का
नया सृजन जब साँसे
लेगा
मन को भी सुकून
मिलेगा |
आशा
वाह बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
अजी आपके शब्द और भाव हमकदम हो बड़ी ऊँची उड़ाने भरते हैं ! बहुत सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिये |