27 अगस्त, 2021

कलम ज़रा धीरे चलो


 

हे कलम ज़रा धीरे चलो

 भावों की है दूर तक पहुँच

पर शब्दों में वह क्षमता नहीं

जो तुम्हारा साथ दे पाए |

जब भी कोशिश शब्दों ने की

तुम्हारा हमकदम होने की  

यादों के गलियारों में घूमने की

साथ तुम्हारा न दे पाए |

हुआ मन आहात व्यथित

चित्र तक न बन सका सतरंगा

भावों की दौड़ तक कैनवास पर

यूँ तो असफल रहे हर क्षेत्र में |

कलम जब तुम साथ दोगी

उनकी  की  प्रेरणा बनोगी

शब्दों में  होगा शक्ति संचार

वे तुम्हारा दे पाएंगे साथ |

 जितना भी लिखोगी श्रेय तुम्हे ही जाएगा

शब्दों को साथ ले मनोभाव दर्शाने का

नया सृजन जब साँसे लेगा

मन को भी सुकून मिलेगा |

आशा 

4 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |

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  2. अजी आपके शब्द और भाव हमकदम हो बड़ी ऊँची उड़ाने भरते हैं ! बहुत सुन्दर रचना !

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  3. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिये |

    जवाब देंहटाएं

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