मरता प्यार जब जीवन में
ना कोई रंग हो
कोई आशा न हो
वीरानी पसरी हो चहु ओर |
केवल बातों से
पेट नहीं भरता
कुछ तो करना होता है
कर्मठ होकर |
स्वप्नों में खोए रहने से
कुछ भी हांसिल न होगा
हो सजग यदि सच में
कुछ भी दूर न होगा तुमसे |
की अरदास जब भी प्रभू की
सच्चे मन से सब कुछ पाया
दीन दुनिया के छल कपट से
खुद को बहुत दूर रख पाया |
आशा
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
सुन्दर क्षणिकाएं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी के लिए साधना |