27 अगस्त, 2021

क्षणिका


 मरता प्यार जब जीवन में

ना कोई रंग  हो 

कोई आशा न  हो 

वीरानी पसरी हो चहु ओर |


केवल  बातों से 

पेट नहीं भरता 

कुछ तो करना होता है 

कर्मठ होकर |


स्वप्नों में खोए रहने से  

कुछ भी हांसिल न होगा 

हो सजग यदि सच में 

कुछ भी दूर न होगा तुमसे |


की अरदास जब भी प्रभू की 

सच्चे  मन से सब कुछ पाया 

दीन दुनिया के छल कपट से 

खुद को बहुत दूर रख  पाया |


आशा 


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