कोई कार्य सरल नहीं करने को
पर असंभव भी नहीं
यदि एकाग्र चित्त हो करना चाहो
हो उत्साह उसे करने का |
जब भी कोशिश हो मन से
दिल्ली दूर नहीं होती
कार्य सरल हो जाते दिल से
करने वाले के लिए |
मन में है विश्वास आवश्यक
दूसरा साहस तीसरी लगन
सभी आवश्यक कार्य पूर्ती के लिए
उसमें सफल होने के लिए |
उसी के कदम चूमें सफलता ने
जिसने असफलता से भय न पाला
बार बार गिर गिर कर सम्हला
यही सही किया उसने |
आशा
आशा
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 09 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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सुप्रभात
हटाएंआभार आपका रवीन्द्र जी मेरी रचना को स्थान देने के लिए |
सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
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