09 सितंबर, 2021

श्री गणेश वन्दना

 



   हे गजानन हे विघ्नहरण 

सुख करता दुःख हरता

प्रथम पूज्य गौरी नंदन

लम्बोदर विघ्न हरता |

है मूषक वाहन तुम्हारा

रिद्धि सिद्धि के स्वामी

लाभ शुभ संतति के जनक

सब की विनती सुनते स्वामी |

उसका हल पलों में करते

 अरज सुनों मेरी  कभी तो ध्यान दो

मैं आई शरण तुम्हारी

 दान बड़ा कोई  न चाहूँ  

 दृष्टि तुम्हारे उपकार की ही है पर्याप्त |

मुझे धन धान्य की चाह नहीं

 सर पर वरद हस्त तुम्हारा चाहती

 सारे कार्य मेरे  होते सफल

 सरल सहज तुम्हारे आने से |

 तुम्हारे आशीष से बढ़ा आत्मविश्वास मेरा  

दृढ संकल्प से सभी कार्य

 होते संपन्न विधि विधान से

घर भरा पूरा है सुख सम्पदा से |

हे मोदकप्रिय प्रथम पूज्य लम्बोदर

मोदक भोग लगाया मैंने की आरती

 सबकी अरज  सुनने वाले    

नमन तुम्हें हे सिद्धि विनायक |

गजानन गणेश जल्दी से आओ

बहुत इंतज़ार अब सहन न होता

सूना लगता स्थापना स्थल तुम्हारा

हे एक दन्त तुम्हारे बिना  |

आशा 

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१०-०९-२०२१) को
    'हे गजानन हे विघ्नहरण '(चर्चा अंक-४१८३)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद हरीश जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  4. गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  5. वरदाता गणपति बप्पा की सब पर कृपा बनी रहे ! सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: