23 सितंबर, 2021

जाना उस देश


 

 

 

 

 

 

 


 ओ वर्षा के पहले बादल

                       काले कजरारे भूरे बादल

तुम जाना काली दास की नगरी में  

जहां से मैं आया हूँ  |

मालव प्रदेश मुझे ऐसा भाया

जिसे मैं भूल न पाया

वहां के दृश्य मनोरम

 है हरियाली चहु ओर |

जब उस प्रदेश से गुजरोगे

मंद  गति से बहती पवन

सहलाएगी तन मन

सुहाना मौसम करेगा आकृष्ट तुम्हें भी |

चाहोगे अपना बसेरा बनाना  वहां

अवन्तिका में क्षिप्रा स्नान कर देव दर्शन करोगे  

महाकाल दर्शनार्थ पहुँचते लोग मिलेंगे  

पक्षी कलरव करते होंगे प्रातःकाल की बेला में |

 रवि रश्मियाँ अंगड़ाइयां ले कर

जागेंगी अपनी आभा बिखेरेंगी

सातों रंग भरेंगी प्रकृति में

मन मोहक छवि उभरेगी नयनों में |

रात में लुकाछिपी चंद्र और तारों से   

नदिया के जल से क्रीड़ा करेंगी

दिन में राह दिखाएंगी आदित्य को

जो निकलता होगा देशाटन को |

आशा

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

9 टिप्‍पणियां:

  1. कालीदास के मेघदूत की याद आ गयी ! सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    धन्यवाद टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात
    मेरी रचना की सूचना के लिए आभार मीना जी |

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्यवाद सुधा जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर रचना।

    प्रणाम
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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