स्वप्नों का बाजार सजा हैं
आज रात बहुत कठिनाई से
किसी की चाहत से बड़ा
उसका कोई खरीदार नहीं है |
दुविधा में हूँ जाऊं या न जाऊं
स्वप्नों के उस बाजार में
कुछ स्वप्न अपने लिए खरीदूं
या चुनूं उपहार के लिए |
रात्री बिश्राम में तो बाधा न होगी
या चुनूं दिवा स्वप्नों को
दिन मैं व्यस्त रहने के लिए
खाली समय के सदुपयोग के लिए |
अभी तक निर्णय ले नहीं पाई
मुझे कोई बुराई नहीं दीखती दौनों में
ये लूं या दूसरे को स्वीकारूं
सोच में हूँ उलझन से निकल न पाई |
कोई तो मुझ जैसा सोचवाला हो
मुझ जैसा विचार रखता हो
हो सहमत मेरे ख्यालों से
मेरा हम कदम हो हम ख्याल हो |
आशा
मेरा हम कदम हो हमख्याल हो |
स्वप्नों की दुनिया से मनोहर और कोई दुनिया नहीं होती ! सुन्दर स्वप्न हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और खुशी से भर जाते हैं जो आपकी सोच को सही दिशा दे जाते हैं ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sadhna
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-09-2021) को चर्चा मंच "ये ज़रूरी तो नहीं" (चर्चा अंक-4202) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि
आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर
चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और
अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर लेखन।
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