28 सितंबर, 2021

स्वप्नों का बाजार

 


स्वप्नों का बाजार सजा हैं

आज रात बहुत कठिनाई से

किसी की चाहत से बड़ा  

उसका कोई खरीदार  नहीं है |

दुविधा में हूँ जाऊं या न जाऊं

स्वप्नों के उस बाजार में

कुछ स्वप्न अपने लिए खरीदूं

या  चुनूं उपहार के लिए |

रात्री बिश्राम में तो बाधा न होगी

या चुनूं दिवा स्वप्नों को  

दिन मैं व्यस्त रहने के लिए

 खाली समय के सदुपयोग के लिए |

अभी तक निर्णय ले नहीं पाई

मुझे कोई बुराई नहीं दीखती दौनों में

 ये लूं या दूसरे को स्वीकारूं

सोच में हूँ उलझन से निकल न पाई |

कोई तो मुझ जैसा  सोचवाला हो

मुझ जैसा  विचार रखता हो

हो सहमत मेरे ख्यालों  से 

मेरा हम कदम हो हम ख्याल हो |

आशा 


मेरा हम कदम हो हमख्याल हो |

6 टिप्‍पणियां:

  1. स्वप्नों की दुनिया से मनोहर और कोई दुनिया नहीं होती ! सुन्दर स्वप्न हमेशा सकारात्मक ऊर्जा और खुशी से भर जाते हैं जो आपकी सोच को सही दिशा दे जाते हैं ! सुन्दर रचना !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 29 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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  3. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-09-2021) को चर्चा मंच "ये ज़रूरी तो नहीं" (चर्चा अंक-4202) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि
    आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर
    चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और
    अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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