03 सितंबर, 2021

एक विचार शिक्षक दिवस पर


 

तुम शिक्षक हम शिष्य तुम्हारे

तुम दाता हो भाग्य विधाता

 हम भर कर झोली लेने वाले

उससे जीवन सवारने वाले |

 जीवन है एक रंग मंच

है यही  कर्म स्थली हमारी

 इसी में है शिक्षा स्थली

जहां पढ़ लिख कर बड़े हुए |

सृष्टि का कण कण है ऐसा

कुछ न कुछ ग्रहण करते जिससे  

शिक्षा सब की लेते उतार जीवन में   

अनुभवों में वृद्दि कर लेते |

किसी से ली शिक्षा अकारथ

 नहीं जाती जीवन में

जन्म से ही शिक्षा का

 योगदान रहता अटूट |

प्रथम गुरू माता होती

जिसके ऋण से मुक्त कभी ना हो पाते

पिता उंगली पकड़ ले जाता साथ  

जीवन मेंअग्रसर होना सिखाता कैसे उन्हें  भुलाते |

मित्रों की सलाह होती लाजबाब

 वे राह में होते जब साथ

 राह भटकने न देते

मार्ग प्रशस्त करते रहते  |

 विधिवत  शिक्षा की आवश्यकता रहती

  तुम बिन पूर्ण न होती   

 हम रहते अधूरे तुम्हारे योगदान बिना

हे शिक्षक तुम्हें शत शत प्रणाम  |

आशा

  

 

6 टिप्‍पणियां:

  1. विचारणीय और सार्थक रचना।
    शिक्षक दिवस की बधाई हो।

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  2. जिससे हमें कोई भी सबक मिले वही हमारा गुरु है और उसके ऋण से हम कभी उऋण नहीं हो सकेंगे ! शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को सादर प्रणाम !

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