कई प्रश्न अनुत्तरित रहे
मन में टीस उठी
अनेक प्रयत्न किये तब भी
इच्छित फल से दूर रहे |
क्या छोड़ दूं यत्न सारे
या फिर से कोशिश करूं
कायरता तो न होगी
अधूरा कार्य छोड़ने की |
उससे मुंह मोड़ने की
क्यूँ न जाने अनजाने
साहस जबाब दे जाता
अधूरे कार्य को करने का मन न होता |
प्रतिफल की आशा हो कैसी
जब यत्न किया ही नहीं
न्याय उन अनसुलझे
प्रश्नों के साथ हुआ ही नहीं |
आशा
प्रतिफल की आशा हो कैसी
जवाब देंहटाएंजब यत्न किया ही नहीं
न्याय उन अनसुलझे
प्रश्नों के साथ हुआ ही नहीं |
सुंदर...हम इंसान कोशिश ही कर सकते हैं... वही हमारे हाथ में है...
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! प्रयत्न तो करना ही चाहिए ! प्रयत्न किये बिना फल की आशा व्यर्थ है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |