04 सितंबर, 2021

प्रयत्न


 

कई  प्रश्न अनुत्तरित रहे

मन में टीस उठी

अनेक  प्रयत्न किये तब भी 

  इच्छित फल से  दूर रहे  |

क्या छोड़ दूं  यत्न सारे

या फिर से कोशिश करूं

 कायरता तो न होगी

अधूरा कार्य छोड़ने की |

उससे  मुंह मोड़ने की

क्यूँ न जाने अनजाने

 साहस जबाब दे जाता

 अधूरे कार्य को करने का मन न होता |

प्रतिफल की आशा हो  कैसी

जब यत्न किया ही नहीं

न्याय उन अनसुलझे

प्रश्नों के साथ  हुआ ही नहीं |  

आशा

   

4 टिप्‍पणियां:

  1. प्रतिफल की आशा हो कैसी
    जब यत्न किया ही नहीं
    न्याय उन अनसुलझे
    प्रश्नों के साथ हुआ ही नहीं |

    सुंदर...हम इंसान कोशिश ही कर सकते हैं... वही हमारे हाथ में है...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत बढ़िया ! प्रयत्न तो करना ही चाहिए ! प्रयत्न किये बिना फल की आशा व्यर्थ है ! सुन्दर रचना !

    जवाब देंहटाएं

Your reply here: