प्यार हुआ जब से उसे
कभी दूर न हुई तुमसे
हरपल तुम में खोई
रही
कोई और चाह न रही उसे |
तुम्हारे प्यार का
नशा ऐसा
उससे उभर नहीं पाती
तुम हो शक्ति उसकी
तुमसे महकी दुनिया
सारी |
प्यार की मिठास है
ही ऐसी
कभी मन न भर पाता
उससे
है वह नशा ऐसा जिससे
बचकर
वह न रह पाई कभी |
पहले भाई बहिनों से
लगाव
फिर सखी सहेलियों से
प्यार
यौवन आते ही भीगा तन
मन
मनमीत के सान्निध्य से |
कोई दिखावा नहीं यह
किया सच्चे दिल से
प्यार उसने
वह खोई रही भावनाओं में
यही पूंजी कमाई है
अब तक उसने |
आशा
आशा
सच है ! प्यार की पूँजी सबसे अनमोल होती है ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |