06 सितंबर, 2021

चूहे तुम कब जाओगे


 

ओ चूहे तुम कब जाओगे

क्यूँ सताया है सारे घर को

कितना नुक्सान किया है तुमने

यह तक न सोचा कभी  |

इतने ऊपर चढ़े कैसे 

पांच मंजिल तक  आए

क्या नया कूलर ही मिला था

तुम्हें  कर्तन के लिए |

हमने तो नहीं छेड़ा तुमको

कोई  नुक्सान न पहुंचाया   

फिर भी तुमने दया न बरती

है यह कैसी लीला तुम्हारी  |

 तुम पूजे जाते  गणपति के संग  

यही सोच रहा मन में

हो गजानन  की सवारी

क्यों सताया जाए तुम्हें   |

 लिहाज तुमने न किया तनिक भी

बहुत यत्न किये फिर भी

न जाना था न गए तुम आज तक 

 इतना नुकसान कैसे सहूँ |

कोई तरकीब तो बता देते

एक छेद नए  कूलर  में

दूसरा मेरी  जेब के अन्दर

कैसे सहन करूं यह कष्ट जता जाते |

अब रहेगा तुमसे न कोई प्रेम

न दया होगी तुम पर ज़रा भी

अपनी सीमा तुमने तोड़ी है

 कोई अपेक्षा न रखना मुझ से |

 जब तक न विदा लोगे  घर से  

संतुष्टि मेरे मन को न होगी   

यह बात मन में अवश्य आयी है  

 जीवों पर दया करो सिद्धांत ने यहीं मात खाई है  |

आशा

8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 06 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जीवों पर दया करो सिद्धांत ने यहीं मात खाई है |
    बहुत सटीक ...जब ये जीव नुकसान पहुँचाते हैं तो हम दया भी भूल जाते हैं।

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  3. वाह वाह ! अनूठा विषय अद्भुत रचना ! अभी इन्हें नाराज़ करना ठीक नहीं ! गणपति बप्पा कैसे आयेंगे घर में जो इनका अपमान हुआ !

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  4. सुप्रभाय
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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