हो तुम मेरे ही कान्हां
यशोदा नंदन नन्द जी के दुलारे
राधा रानी शक्ति तुम्हारी
लिए काली कमली और बाँसुरी साथ में |
शीश पर मोर मुकुट सजा है
पीली कछोटी बंधी कमर में
मुंह पर माखन लगा है
ऐसी छबि करती तुम्हें जुदा सब से |
अलग ही है पहचान तुम्हारी
बाल सुलभ चंचलता नयनों में
यही अदा प्यारी है मुझको
मैं हो जाऊं तुम पर न्योछावर |
ना मैं मीरा ना में राधा
रहूँ तुम्हारी अनुयाई सदा
ऐसा ही भोला बचपन
मुझे बड़ा भाया है
क्यों न मैं जी लूँ उसे
दिन भर धेनु चराऊँ
शाम पड़े गोधूली बेला में
लौट कर घर आऊँ |
आशा
आशा
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा 16.09.2021 को चर्चा मंच पर होगी।
जवाब देंहटाएंआप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
Thanks for the information of the post here
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 16 सितंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
Thanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंकान्हा की हर छवि मनमोहक ! बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंThanks for the comment
हटाएं