13 नवंबर, 2021

मेरी बेटी


 

है गर्ब मुझे यह कहते हुए  

मैंने जन्म दिया था उसे 

 दोनो कुल का नाम बढाया उसने 

कभी नाम न डुबोया मेरा

मेरी सारी  अपेक्षा  पूरी की  उसने  |

कौन कहता है कि बेटी पराई होती है

कन्यादान के बाद उस पर आपका

कोई अधिकार नहीं रहता 

सच कुछ और ही होता है |

शिक्षित हो वह सभी मोर्चों पर

 खरी उतरती है  

बेटी मिलती है बड़े सौभाग्य से 

कोई पुन्य किया हो पूर्व जन्म में

तभी बेटी का सुख मिल पाता है |

वे हैं  हतभागी

 जिन्होंने बेटी न पाई

बेटी के बिना 

घर में बहार न आई |

घर का आँगन सूना ही रह गया

उसकी किलकारी बिना  

उसकी पायल की  झंकार बिना |

मुझे बहुत प्यारी है 

मेरी संस्कारी बेटी  

सब त्यौहार अधूरे लगते 

 उसके बिना|

उसके आते ही घर में 

 बहार आ जाती है

उसके जाने से रौनक

 कहीं खो जाती है|

घर की बगिया 

वीरान सी हो जाती  है

महक पुष्पों की भी 

कहीं खो जाती है |

बाग़ से  हरिया भी 

 मुंह फेर लेती है 

उदासी घर घेर लेती है 

सूनापन डसने लगता है उसके बिना | 

उसकी कमी का किसी को 

पता नहीं चलता पर खलता 

अनजाने में उदासी

 घर घेर लेती है |

आशा 

16 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद आलोक जी टिप-पानी के लिए |

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 14नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !











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    1. सुप्रभात
      आभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को पांच लिंकों के आनंद में स्थान देने के लिए |

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  5. सुप्रभात
    आभार कामिनी जी मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए |

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |

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  7. ऐसी ही होती हैं बेटियां
    बहुत खूब

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  8. बेटी से बढ़ कर जीवन में अन्य कोई वरदान नहीं होता ! बड़े खुशनसीब होते हैं वे आँगन जहाँ बेटियों की पायल की रन झुन सुनाई देती है ! सुन्दर रचना !

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  9. सुप्रभात धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिये |

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