है गर्ब मुझे यह कहते हुए
मैंने जन्म दिया था उसे
दोनो कुल का नाम बढाया उसने
कभी नाम न डुबोया मेरा
मेरी सारी अपेक्षा पूरी की उसने |
कौन कहता है कि बेटी पराई होती है
कन्यादान के बाद उस पर आपका
कोई अधिकार नहीं रहता
सच कुछ और ही होता है |
शिक्षित हो वह सभी मोर्चों पर
खरी उतरती है
बेटी मिलती है बड़े सौभाग्य से
कोई पुन्य किया हो पूर्व जन्म में
तभी बेटी का सुख मिल पाता है |
वे हैं हतभागी
जिन्होंने बेटी न पाई
बेटी के बिना
घर में बहार न आई |
घर का आँगन सूना ही रह गया
उसकी किलकारी बिना
उसकी पायल की झंकार बिना |
मुझे बहुत प्यारी है
मेरी संस्कारी बेटी
सब त्यौहार अधूरे लगते
उसके बिना|
उसके आते ही घर में
बहार आ जाती है
उसके जाने से रौनक
कहीं खो जाती है|
घर की बगिया
वीरान सी हो जाती है
महक पुष्पों की भी
कहीं खो जाती है |
बाग़ से हरिया भी
मुंह फेर लेती है
उदासी घर घेर लेती है
सूनापन डसने लगता है उसके बिना |
उसकी कमी का किसी को
पता नहीं चलता पर खलता
अनजाने में उदासी
घर घेर लेती है |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप-पानी के लिए |
उत्कृष्ट रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात धन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर रविवार 14नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
सुप्रभात
हटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को पांच लिंकों के आनंद में स्थान देने के लिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार कामिनी जी मेरी रचना को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
ऐसी ही होती हैं बेटियां
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंगहन रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संदीप जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंबेटी से बढ़ कर जीवन में अन्य कोई वरदान नहीं होता ! बड़े खुशनसीब होते हैं वे आँगन जहाँ बेटियों की पायल की रन झुन सुनाई देती है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिये |
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