18 नवंबर, 2021

वर्ण पिरामिड


 


          है

         यह

        सहज

       सरलता

      लिए हुए है

    कोई भी उपाय 

   कठिन न उसके

   सहज योग अच्छा है   

   संबल योग का उसका |

 मैं 

तुम

दौनों ही   

हमदम  

न  दूसरा है    

मैंरी    प्रेरणा 

तुम  ही  केवल 

तुम पर है आस्था 

तुम गुरू  मेरे लिए 

नमन तुम को  दिल से |

         हे 

       प्रभू 

    मुझे दो 

    आसरा ही    

   हे दया निधान 

रखो सदा अपनी

  छत्र छाया में मुझको   

हो दया द्रष्टि भी  साथ में |


है 

अब 

कहाँ से  

मन को जाना 

कितनी बाधाएं 

पार न कर सका 

दुनिया के जंजाल से  

खुद को निकाल न पाया |

आशा 





 

 

 

 

 

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    धन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२०-११-२०२१) को
    'देव दिवाली'(चर्चा अंक-४२५४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सात स्वतन्त्र पँक्तियाँ और
    किसी दो पंक्ति में तुकांत
    होने से वर्ण पिरामिड बनता है

    –पुनः प्रयास कर लें

    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      धन्यवाद विभा जी टिप्पणी के लिए |मैं फिर से प्रयत्न करूंगी इन पर कार्य करने के लिए |

      हटाएं
  4. उत्तर
    1. सुप्रभात धन्यवाद विकास जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं

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