17 नवंबर, 2021

क्षणिकाएं




 


१-संजोग कहो या बेगानापन

या हो इतफाक कोई

जो भी हुआ अच्छा हुआ

कोई सदमा नहीं मुझे |

२- किसी ने कभी भी  

प्यार तो जताया नहीं

हर तरह निराश किया

दो बोल मीठे  न बोले

शायद यही प्रारब्ध था मेरा |

३- मेरा तुझसे यह कहना है

किसी पर एतवार न करना कभी

जो जितना मीठा बोलता दिखे

 मन में कपट की खिचड़ी पके |

४- चंचल चपला हर अदा तेरी

यही तुझे  विशिष्ट बनाती

यदि नयना झुक जाएं तेरे

सुनामी दिल में आ जाती है |

५- पारद  सा तरल दिल है मेरा  

स्थिर नहीं रह पाता कभी

किससे कहूं व्यथा अपनी

किसी की सलाह नहीं जचती मुझे |

६-प्यार की हरारत उसको 

होती रही हर बार 

तुम जाओगे कहाँ तक 

योग साधना का संबल ले कर | 

आशा 





















आशा 

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