तेरी
सुघड़
छवि वही
तुझ में बसी
दूर न मुझ से
सब से प्यारी मुझे
बहुत न्यारी प्यारी है
कोई और नहीं चाहिए |
तेरी
सुप्रिया
हमदम
हम सफर
ख्यालों में बसी हूँ
कभी नजारों में हूँ
हूँ इतने करीब कि
मैं तुझसे दूर नहीं हूँ |
एक
कारवा
जानेवाला
देशाटन को
मुझे जाना होगा
खोज रहा सुकून
दूर नहीं मेरा गाँव
कुछ तो परिवर्तन हो |
आशा
सुन्दर वर्ण पिरेमिड ! भावपूर्ण सृजन !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |