वह नहीं जानती
किसी की दुर्वलता पर हंसना क्या होता है
जिसने इसे भोगा नहीं इसी जिन्दगी में |
जीवन कटुता से भरा हो
जब हो हाल बेहाल
हंसने का कोई कारण तो हो |
यही कुछ बीते जब खुद पर
सोचो जीवन कैसा होगा |
न प्यार न इकरार
ना हीं मान मनुहार
रूठना मनाना कुछ काल का
होता है शहादत
प्यार के इजहार का |
कभी शब्द नहीं होते
क्षमा माँगने के लिए
इन प्रपंचों से बचकर निकलने के लिए
जीवन सुखमय करने के लिए |
यही समस्या है आम आदमीं की
भूल करता नहीं हो जाती है
इससे कैसे बचे कोई तो उपाय हो|
कभी अहम् आड़े आता है
क्षमा और शब्दों के बीच
झुकने नहीं देता उसे |
उसके अहम् को ठेस पहुँचती
किसी भी समझोते पर विश्वास नहीं होता
प्रयत्न जब असफल ही रहते हैं
जीवन अधूरा रह जाता है |
आशा
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 09 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आभार यशोदा जी मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए |
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसत्य है ! जीवन कभी कभी ऐसे दोराहे पर खड़े खड़े ही बीत जाता है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएं