08 नवंबर, 2021

जीवन अधूरा



                       वह नहीं जानती 

 किसी की दुर्वलता पर हंसना क्या होता है

जिसने इसे भोगा नहीं  इसी जिन्दगी में |

जीवन कटुता से भरा हो

 जब हो हाल बेहाल  

हंसने का कोई कारण तो हो |

यही कुछ बीते जब खुद पर

सोचो जीवन कैसा होगा  |

न प्यार न इकरार

 ना  हीं मान मनुहार 

रूठना मनाना कुछ काल का

होता है शहादत 

प्यार के इजहार का  |

कभी शब्द नहीं होते

 क्षमा माँगने के लिए

इन प्रपंचों से बचकर निकलने के लिए 

 जीवन सुखमय करने के लिए  |

यही समस्या है आम आदमीं की

भूल करता नहीं हो जाती है 

 इससे कैसे बचे कोई तो उपाय हो|

कभी अहम् आड़े आता है  

क्षमा और शब्दों के बीच 

झुकने नहीं देता उसे |

  उसके अहम् को ठेस पहुँचती 

किसी भी समझोते पर विश्वास नहीं होता

प्रयत्न जब असफल ही रहते हैं 

 जीवन अधूरा रह जाता है | 

आशा 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 09 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    उत्तर
    1. आभार यशोदा जी मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए |

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  3. सत्य है ! जीवन कभी कभी ऐसे दोराहे पर खड़े खड़े ही बीत जाता है ! सुन्दर रचना !

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  4. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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