यूँ तो कोई
वादे नहीं करते
यदि वादे कर लिए
पूरे नहीं करते |
उनको निभाने का
नाम न लेते
यह झूटी बातें किसलिए
किसे बहकाने के लिए |
होता क्या लाभ
इन ऊंची नीची बातों का
क्या जानते नहीं
ऎसी बातें कभी छिपती नहीं |
जब उजागर होती हैं
सब की निगाहों से
गिर जाते हैं
इज्जत नहीं होती समाज में
हो जाते हंसी के पात्र |
तब मन को
बहुत कष्ट होता है
शर्म से नत मस्तक
होने के सिवाय
कुछ भी प्राप्त नहीं होता |
वादा करो कोई वादा किया यदि
पूरी निष्ठा से निभाओ
तभी तुम्हारी
बातों की कद्र होगी बातों के पक्के
माने जाओगे |
आशा
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-11-2021) को चर्चा मंच "छठी मइया-कुटुंब का मंगल करिये" (चर्चा अंक-4244) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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छठी मइया पर्व कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुप्रभात
हटाएंआभार सहित धन्यवाद सर मेरी रचना कोआज के अंक में स्थान देने के लिए |
जो लोग क्षणिक सुख के आकांक्षी होते हैं वे ऐसे ही झूठे वायदे और चिकनी चुपड़ी बातें करके अपना काम निकाल लेते हैं ! ऐसे स्वार्थी लोगों का मान सम्मान भी अस्थाई और क्षणिक ही होता है ! कोई इन पर भरोसा नहीं करता !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
वादा किया है निभाना ही चाहिए, वरना न करना ही अच्छा है
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए
सुप्रभात
धन्यवाद अनीता जी टिप्पणी के लिए |
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सही कहा.. वादा वही करना बेहतर जिसे निभा सकें...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद विकास जी टिप्पणी के लिए |
बहुत सही बात कही आपने!
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनीषा जी टिप्पणी के लिए |