24 नवंबर, 2021

नानुकुर किस लिए


                                         किसी भी बात पर 

 ना नुकुर

शोभा  न देती कभी 

 समय देखो

दीखते उलझते     

 विचारों में ही   

 तुम हो  मेरे 

 हम कदम नहीं  

किससे  कहूं 

 गैर तो नहीं अब 

फिर भी दूरी 

मुझे  अपने लगे 

प्यारे लगते 

कुछ तो हो जरूर

मेरे न हुए

कब तक बचोगे 

 हुआ इससे 

 क्या  और  किसलिए 

हमदम हो     

सपनों में आकर  

कभी देखना  

कौन हमसे ज्यादा 

  मन को प्यारा होता 

 क्या है उसमें       

लाडला किस लिए   

ख्याल तुम्हारे  

सबसे अलग हैं    

 प्रिय हैं मुझे

तब यह दूरी क्यों

किसके लिए |

आशा 

 

11 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. उत्तर
    1. सुप्रभात धन्यवाद प्रकाश जी टिप्पणी के लिए |

      हटाएं
  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 25 नवंबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !



    आमंत्रण में देरी के लिए क्षमा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सुप्रभात
      मेरी रचना की सूचना के लिए धन्यवाद |

      हटाएं
  4. वाह ! कोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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