29 नवंबर, 2021

भोर का एकल सितारा देखा


 
भोर का एकल सितारा

देता संकेत सुबह के आगमन का

रश्मियाँ धीरे से झाँकतीं देखती

 वृक्षों की डालियों के बीच में  छिप कर |

जब आतीं खुले आसमा में

अद्भुद आभा उनकी होती   

सध्य स्नाना युवती सी

सजधज कर जब आसमा में विचरतीं |

बहुत आकर्षण होता उनमें

जो खींचता हर दर्शक को अपनी ओर

ये फैली होतीं जब वृक्षों पर

अद्भुद ही द्रश्य होता वहां का |

पेड़ के नीचे बिछी श्वेत पुष्पों की चादर

वहां  से उठने न देती

मन हो जाता विभोर

कहीं जाना न चाहता वहां की शान्ति छोड़ |

खुद से वादा करती

प्रति दिन यहीं आऊंगी

सुबह   की सैर के लिए

मौसम का नजारा देखूंगी जी भर कर |

आशा 

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