28 नवंबर, 2021

कलम तो कलम है


 

                              कलम तो कलम है वही रहेगी 

लिखने वाले बदल जाएंगे
विचार बदल जाएंगे
वह न बदलेगी |
विचारों को संकलित करना
उनको पुष्पों सा एक माला में पिरोना
रहता तरीका भिन्न सदा
पर लेखक के मन परकलम दिखती निर्जीव
जैसा चाहो उपयोग करलो
पर हो जाती सक्रीय
जब गति पकड़ती |
उसे कोई व्यवधान
पसंद नहीं आता
अपने किसी कार्य के मध्य
वह पूर्ण समर्पण से कोई
कार्य सम्पन्न करती|
वह जो भी कार्य करती
लेखक की संतुष्टि के लिए
लिखने वाले मन का विचलन
कभी भी दुःख दे जाता |
दो कदम भी आगे न बढ़ने देता
यहीं वह हार जाती लाचार होती
कितनी भी कोशिश करती
सभी विफल हो जाती |
फटे पन्नों का प्रदर्शन होता पूरे कमरे में
वह सजा दीखता अनोखे अंदाज मे
तभी बहुत शर्म आती उसे
अक्षम हो कर एक ओर कौने में
असहाय से पड़े रहने में
कुछ कर न पाने में |
कलम की सक्रीयता
यूँ तो कभी कम न होती
पर लेखक के मन पर
निर्भर रहती |
आशा


7 टिप्‍पणियां:

  1. कलम तो एक माध्यम भर है ! वह तो लेखन के लिए साधन मात्र है ! उत्तम या निकृष्ट, अच्छे या बुरे विचार तो उसका इस्तेमाल करने वाले के होते हैं ! कलम का इसमें क्या दोष ! अच्छी रचना !

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  2. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (29 -11-2021 ) को 'वचनबद्ध रहना सदा, कहलाना प्रणवीर' (चर्चा अंक 4263) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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