काजल की कोठरी
में पहुंच काजल की
कालिख से कैसे बचेंगे |
कितना भी बच कर चलेंगे
काला रंग काजल का
लग ही जाएगा |
सोचेंगे साबुन से
दागों को छूटा लेंगे
पर वह भी गलत होगा
दाग फीके तो होंगे फिर भी दिखेंगे |
सावधानी यदि नहीं बरती
कालिख बढ़ती ही जाएगी
कैसे उनसे छुटकारा मिलेगा
कोई हल नजर नहीं आता |
आशा
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार
(30-11-21) को नदी का मौन, आदमियत की मृत्यु है" ( चर्चा अंक4264)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
सुप्रभात
हटाएंआभार कामिनी जी मेरी रचना की सूचना के लिए |
बिल्कुल सही कहा आपने! बहुत ही प्रेरणादायक रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनीषा जी टिप्पणी के लिए |
अत्यंत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंदुनिया में रहकर दुनियादारी से बचना कठिन है पर जिसने दुनिया बनाने वाले से नाता जोड़ लिया, वह अछूता निकल सकता है
जवाब देंहटाएंधन्यवाद...।।।।।शशंशशशशशशशश
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंकाजल की कोठरी में घुसना ज़रूरी भी तो नहीं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |