30 दिसंबर, 2021

क्षणिकाएं (सर्दी )


 १-         जिन्दगी का भार यदि खुद का हो

सहा जा सकता है पर परिवार का क्या करें 

उनकी समस्याओं से भरी बातों का 

कोई अंत न हीं होता   क्या करें   |


२-सर छिपाने को यदि छत न हो 

दो जून की रोटी यदि मयस्सर न हो 

जियें तो कैसे जियें बातों से पेट नहीं भरता 

कोई कार्य तो ऐसा हो व्यस्त रहने के लिए |     


३-यह आर्थिक तंगी पहले न थी 

अब सहनशक्ति पार कर गई 

जीना हुआ दूभर अब तो 

महंगाई हमें भी मात दे गई   |


४-मेरा मन इतना कमजोर नहीं 

कठिनाइयों  से जो भय खाए 

पर पतली कोई गली न मिली  

उनसे बच  कर निकल जाए    |



५-इस मौसम में सर्द हवाएं तन मन दहलाएं   

जलते अलाव तक ठण्ड कम न कर पाएं   

आम आदमीं की   कठिनाइयाँ बढ़ती जाएं 

मन को बेकरार  करती जाएं |


आशा 

                                                    

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