ना तो कोई रंग ना
तरंग
इस अकारथ जीवन में
बोझ बन कर रह गया है
व्यर्थ इस धरती पर पड़ा
है |
है बेनूर जिन्दगी उसकी
कोई भाव जन्म न लेते
जो मन की खुशियाँ
सहलाते
दो शब्द प्यार के
बोल पाते |
यह बेरंग जिन्दगी है
कैसी
एक बदरंग
दाग हुई दुनिया में
कभी मीठे बोल न मुखरित
होते
मुख मंडल से उसके |
सदा जली कटी भाषा का
प्रयोग
मन विदीर्ण कर जाता सब
का
उसकी कर्कश बोली से
सबका इतना
ही है नाता |
छोटे बच्चे तक तरस जाते
दुलार पाने को उसका
उसके आते ही कौने में छिप जाते
सुई पटक
सन्नाटा होता
मन विक्षोभ से भर जाता |
आशा
सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंधन्यवाद आलोक जी टिप्पणी के लिए |
मीठी बोली और सद्व्यवहार में कुछ खर्च नहीं होता लेकिन सबके प्यार से आपको मालामाल कर जाता है ! जो इतना भी नहीं कर पाते उनका जीवन सच में भार के सामान है ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |