खिला फूल कमल का जब
जितना खिला दिखा
अनुपम
मन को बांधे रखने
में सक्षम |
यही विशेषता उसकी याद आती
जब भी एकांत मैं
बैठी होती
मेरे मन को उसकी एक एक
पंखुड़ी सहलाती
सारा प्यार दुलार अपने साथ ले जाती |
भ्रमर वृन्द अटखेलियाँ करते उनसे
जब खिल जातीं झूमतीं
लहरातीं मन्द वायु में
फिर भी खुद को रखती दूर पंक से
वायु बेग का मुकाबला करतीं| हार मानना सीखा नहीं
दृढ कदम जमाए रहीं
एक लक्ष्य ही रहा मन में
जिसमें वे सफल रहीं |
माली की देखरेख से
वे खुश रहतीं
स्वयम की विशेषता समझतीं
सब को दर किनारे रखतीं |
पंक में पलतीं पर उससे दूर रहतीं
बिशेषता है यही उनमें
सबसे अलग थलग रहीं
कोई बुराई न साथ में ली
खुद पाक साफ रहीं |
कमल पुष्प ने तभी
अपना स्थान प्रभु चरणों में पाया
आम पुष्पों से दूरी रखी
सरस्वती का नाम कमलासनी कहलाया |
आशा
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आलोक।जी
हटाएंकमल सा दूसरा कोई पुष्प नहीं ! सुन्दर सृजन !
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