31 दिसंबर, 2021

दलदल में खिला कमल



             जीवन की समस्याओं के दलदल में

खिला फूल कमल का जब 

जितना खिला दिखा अनुपम  

मन को बांधे रखने में  सक्षम  |

यही विशेषता उसकी याद आती

जब भी एकांत मैं बैठी होती

मेरे मन को उसकी एक एक पंखुड़ी सहलाती

सारा प्यार दुलार अपने साथ ले जाती |

भ्रमर वृन्द अटखेलियाँ करते उनसे 

जब खिल जातीं झूमतीं लहरातीं मन्द वायु में  

फिर भी खुद को रखती दूर पंक से 

               वायु बेग का मुकाबला करतीं|                   हार मानना सीखा नहीं

 दृढ कदम जमाए रहीं 

एक लक्ष्य ही रहा मन में 

जिसमें वे सफल रहीं |

 माली की देखरेख से वे खुश रहतीं

स्वयम की विशेषता समझतीं

 सब को दर किनारे रखतीं |

पंक में  पलतीं पर उससे दूर रहतीं 

बिशेषता है यही उनमें

 सबसे अलग थलग रहीं

कोई बुराई न साथ में ली

 खुद पाक साफ रहीं  |

कमल पुष्प  ने तभी 

अपना स्थान प्रभु चरणों में पाया  

आम पुष्पों से दूरी रखी 

सरस्वती का नाम कमलासनी कहलाया    |

आशा

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