मेरे बचपन की
यादों की जड़ें
इतनी गहरी है
कि मुझे याद नहीं वह
कब अलविदा हुआ
आज तक यह न लगा
मुझे भी बड़प्पन
दिखाना चाहिए
जाने अनजाने में
आज भी उतनी ही
उत्सुकता रहती है
किसी नई खोज में
उसका हल जानने में
बच्चों के साथ खेलने में
जब कि तन से
थक गई हूँ
मन से नहीं थकी हूँ |
आशा
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंआलोक
जीवन सही अर्थों में वही लोग जीते हैं जिनके मन का बच्चा कभी बूढा नहीं होता ! शरीर भले ही वृद्ध हो जाए मन में बच्चों वाली उमंग, जिज्ञासा, उत्साह और जोश बरकरार रहना ही चाहिए !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधाना टिप्पणी के लिए |