01 जनवरी, 2022

भुवनभास्कर तुम्हारा आना


 

चुपके चुपके आना तुम्हारा

वृक्षों के पीछे  से झांकना 

हे भुवन भास्कर तब रूप तुम्हारा

होता विशिष्ट मन मोहक |

यही रूप देखने को लालाईत

रहता सारा जन मानस

बड़े जतन से करते  पूजन 

तुम्हें  जल  करते अर्पण |

यही रूप आँखों में बसा रहता

हमारे मन को सक्षम बनाता

करता हमें ऊर्जा प्रदान 

समस्त दैनिक कार्यों के लिए |

प्रातः से शाम तक व्यस्त रहते

शाम होते ही तुम जाना चाहते

 होता आसमा सुनहरा लाल    

धीमीं गति से छिपते छिपाते जाते|

 तुम दिखते थाली जैसे 

  होता समा रंगीन अस्ताचल का    

   विहंगम दृष्टि जब डालते  

उड़ती चिड़ियों का कलरव होता|

 वे लौटतीं अपने बसेरों में 

व्याकुल अपने बच्चों से मिलने  

ये दृश्य बहुत मनोहर होते  

दिल चाहता यहीं रम जाऊं|

 हर दिन यही नजारे  देखूं

खुशहाल जिन्दगी का करू अनुसरण 

इस नियमित जीवन क्रम को 

 अपनी जिन्दगी में उतारूं|

आशा

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    नव वर्ष की शुभ कामनाएं |मेरी रचना को पांच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आभार रवीन्द्र जी |

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  2. आदरणीया आशा लता जी, नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएँ💐! खुशहाल जीवन का करूँ अनुसरण!--ब्रजेंद्रनाथ

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    1. सुप्रभात
      नव वर्ष की शुभ शुभ कामनाएं |धन्यवाद मर्मग्य जी टिप्पणी के लिए |

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  3. वाह ! सूर्योदय सूर्यास्त का बड़ा ही मनोहारी चित्रण ! बहुत ही सुन्दर रचना !

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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  4. बहुत खूबसूरत रचना
    नववर्ष मंगलमय हो

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    1. सुप्रभात
      धन्यवाद भारती जी टिप्पणी के लिए |

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