17 दिसंबर, 2021

रिश्तों की पहचान



कभी अपना दिल टटोलाना

क्या उससे कभी कोई

गलती हुई ही नहीं

 वह कभी पशेमा हुआ ही नहीं |

 अपने तक ही सीमित रहा

किसी और का दुःख न बाँट सका

प्यार है किस चिड़िया का नाम

खुद उसे पहचान न सका |

सतही रिश्तों से खोखला हुआ

उनकी गहराई तक न पहुँच पाया

उसे किसी का अपनापन न भाया

सतही रिश्तों को समझ दर किनारे किया |

कितने रिश्ते निभाए जा सकते है

यह भी कभी सोचा नहीं

या सभी को सतही समझा

उन्हें खुद से दूर किया |

पर एक बात तो स्पष्ट हुई

रिश्तों के बिना जीवन फीका लगता

बेरंग जीवन होता जाता

खालीपन आ जाता नन्हें से दिल में |

यह अभाव कैसे पट पाता

सोचा का विषय हुआ

फिर से पलट कर देखोगे

तब समझ पाओगे इनकी अहमियत |

रिश्ते हैं जीवन के

अभिन्न अंग जान जाओगे

इनके बिना जीवन अधूरा

पहचान जाओगे |

आशा

3 टिप्‍पणियां:

  1. सच है रिश्तों के बिना जीवन बिलकुल बेरंग और एकाकी हो जाता है ! जिसने रिश्तों की अहमियत नहीं समझी उसने जीवन की सबसे बड़ी दौलत को ठुकरा दिया ! बढ़िया रचना !

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  2. सुप्रभात
    धन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |

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