18 दिसंबर, 2021

महिमा अधूरी रह जाती


                                  प्रभु की  महिमा अधूरी रह जाती 

बिना चुने हुए अल्फाजों के

गीत तो गाए जाते पर

 बिना धुन और लय ताल के |

सतही यह गीत संगीत ताल

दिल से जब शब्द न निकले

सभी दिखावे से लगते

जब मन को न छू पाते |

खिलती कलियों का नेह निमंत्रण

 फिर भी आकर्षित करता

फूलों का रंग अपनी ओर खीचना चाहता

और मैं खिचता चला जाता वहां |

मुझे आभास ही  नहीं होता कब

 सुगंध के सहारे मैं पहुंचता वहां 

 इस दृश्य का आनंद लेने  |

फुलों पर उड़ते भौंरे और तितलियाँ

नाचते थिरकते  मोरऔर मोरनी संग 

ताल में तैरते श्वेत बकुल और सारस  

अपनी ओर करते आकृष्ट मुझे 

समा रंगीन होता उस बगिया का |

रंगबिरंगे परिधान में सजा बचपन

दौड़ लगाता जब हरे भरे मैदान में  

तरह तरह की स्वर लहरी गूंजती

अपनी ओर आकृष्ट करतीं मुझे |

 मन चाहता कुछ देर  बैठूं यहां   

जब हाथों में हो कैनवास ,कूची 

 और विविध रंगों का खजाना

दृश्य को उकेर कर सजालूँ अपने उर में |

कुछ और की चाह नहीं है  

ये पल यदि ठहर  जाएं

भर लेता  अपनी बाहों में

जीवन को सार्थक कर लेता |

चाहर पूरी  हो जाती मेरी 

फिर तुम्हारी महिमा गाता

मधुर स्वर लय  और  ताल में

मन खुश हो नाचने लगता | 

आशा 

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