मान अभिमान किस लिए
किसके लिए?
किस बात पर गुमान करूं
आखिर कब तक अभिमान करूं
मेरा है क्या ?
जिस पर झूटा गरूर करूं |
समस्याए कम होने का
नाम नहीं लेतीं
जीवन की उलझनें कम नहीं होतीं
समस्याओं की दुकान लगी है|
सुलझाने की कितनी भी
कोशिश करूं
जहां से चलना था वहीं
अटक कर रह गई हूँ |
भाग रहा है समय
पूरी गति से बिना चेतावनी के
हाथों से छूटा जा रहा है
सिक्ता कण सा |
अब कुछ भी नहीं पास मेरे
ना ही बस में मेरे
ईश्वर की कृपा यही है
मुझे कष्ट दिया पर सहन शक्ति भी दी है |
मस्तिष्क में ऊर्जा
वही है आज तक
हूँ पूर्ण सजग
अवचेतन नहीं मैं |
आशा
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंThanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंयही सजगता सबसे बड़ा सम्बल भी है और हर समस्या का हल भी ! इसे हमेशा जगाये रखना ज़रूरी है ! गहन अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
हटाएंटिप्पणी अच्छी लगी |धन्यवाद टिप्पणी के लिए |