21 दिसंबर, 2021

अधूरे जीवन में परिवर्तन


 

जीवन में आती धूप छाँव

सुबह और शाम

 कोई परिवर्तन न देखा

यही क्रम जारी रहा जीवन भर |

 आते व्यवधानों से जिन्दगी में 

  चलना सीखा काँटों से बच कर 

ऊबड़ खाबड़ कन्टकीर्ण सड़क पर  

जिसे पार करना सरल न था |

मुझे  ठोकर लगी जब 

उसी ने  सहारा दिया 

 गिरने पर सम्हाला

 बड़े जतन  से उठाया |

 मुझे गंतव्य तक पहुंचाया

कोई तो है मददगार मेरा

 वही मेरा हमराज हुआ 

बोझ मन का कम हुआ |

जब वक्त पर आ खड़ा  हुआ 

 बैसाखी बन कर सहारा दिया 

मुझमें साहस का संचार हुआ 

खुद पर विश्वास जाग्रत हुआ |

मेरे अधूरे जीवन में बहार आई  

उसकी जरासी सहायता से 

 जिन्दगी मेरी सवर गई 

उसके हाथ बढाने से |

अधूरे जीवन में परिवर्तन आया  

सुबह और शाम में

धुप और छाँव में स्पष्ट 

अंतर नजर आया |  

आशा

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