किया कुछ और
चाह थी किसी और की
किया तुम्हारा अनुकरण
फिर भी कोई कठिनाई न हुई |
जीवन में आते व्यवधानों से सीखा
उन का मनन किया
गलत विचार को नकारा
सही पर ही ध्यान दिया |
आज जहां हूँ संतुष्ट हूँ
कल कठिन परीक्षा से गुज़री
अब उसे याद क्यूँ करूं
किस लिए करूं |
लोगों ने मेरा भाग्य सराहा
मुझे प्रोत्साहित किया
है अनुग्रह तुम्हारा भुलाना चाहा
पर मैंने ऐसा न किया |
हूँ तुम्हारी अनुगामीन
तुम्हारा बरद हस्त है
जब सर पर मेरे
मुझे चिंता नहीं है |
आशा
किया कुछचाह थी किसी और की जीवन में आते व्यवधानों से सीखा चाह थी किसी और की
वाह ! सुन्दर रचना !
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