तुमसे सीखा कठिन परिश्रम
दृढ़ निश्चयी होना सीखा
कितनी भी कठिनाई आए
मार्ग से विचलित न होना सीखा |
कायर सा मुहं छिपाकर
भूमिगत हो जाना न
सीखा
किसी की कही बात पर
ध्यान न देना नहीं
सीखा |
यही गुण मेरे जीवन के बने आधार
कभी भी
मात न खाई
ना कभी कोई कठिनाई आई
मैं सरलता से उससे उभर पाई |
बस एक बात मुझे खली
तब तुम न थे साथ
मेरे
मुझे
प्रोत्साहित करने को
प्रगति में सहायक होने को |
तब भी तुम्हारी कमीं ने मुझे
जो सहन शक्ति की प्रदान तुमने
किसी का एहसान न लेना सिखाया
अपने पैरों पर खडी हुई |
यही जिन्दगी का फलसफा हुआ
अब भी खड़ी हूँ अडिग सच्चाई पर
झूट से कौसों दूर रही हूँ
तुम्हारी सीख को भूली नहीं हूँ |
आशा
Thanks for the comment sir
जवाब देंहटाएंसफलता के लिए यही समर्पण और लगन बहुत ज़रूरी है ! बहुत बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए |