बड़ा दिन आया खुशियाँ ले
बड़े इन्तजार के बाद
चिलमन से झांकते छिपते छिपाते
कोरोना के उपद्रव से
भयभीत रहा पहले |
कहीं यह त्यौहार भी ना फीका हो जाए
फिर से हुआ यदि लौक डाउन
कहीं सान्ता क्लाज न
फँस जाए
आज के झमेलों में |
हमने बहुत सी तैयारियां
की है
उसके स्वागत के लिए
हैं बड़े उत्साहित कब वह आए
हमें मन चाहे
पुरुस्कार दे पाए |
जो खुशी उससे हमें मिलती
बयान करने को शब्द नहीं मिलते
उनकी गरिमा कुछ और
ही होती
तभी होती इतनी बेकरारी
इस के आने की राह देखने की |
आशा
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआभार रवीन्द्र जी मेरी रचना को" पांच लिंकों का आनंद"के अंक में स्थान देने के लिए |
सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ओंकार जी टिप्पणी के लिए |
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सृजन ! क्रिसमस और नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंधन्यवाद साधना टिप्पणी के लिए नव वर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएं |